नवरात्री में 9 दिन 9 भोग I नवरात्री 2023 में माँ दुर्गा के लिए 9 दिन 9 भोग की महिमा

नवरात्री के ९ दिनों में माँ दुर्गा को ९ भोग चढाने की प्रथा है। हमने नवरात्री में ९ दिन ९ भोग की महिमा बहुत सुनी है। इस आर्टिकल के जरिये आज हम जानेंगे की नवरात्री में ९ दिन ९ भोग की महिमा क्या है?

नवरात्री के नौ दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को विशेष ९ भोग भी चढ़ाये जाते है, जो की अति मंगल कारी और फलदायी होता है। नौ दिन तक अलग – अलग भोग चढ़ाकर माँ दुर्गा को प्रसन्न किया जाता है। माता को भोग लगाकर इन्ही प्रसाद को घर के सभी सदस्य ग्रहण करे और बाहर भी वितरण करे तो अत्यंत शुभ होता है। नवरात्री २०२३ का पावन पर्व १५ अक्टूबर २०२३ से प्रारम्भ हो रहा है। 

यहाँ हम जानेंगे की माँ दुर्गा के किस दिन कौन से स्वरुप की पूजा होती है, उनके क्या भोग चढ़ाना चाहिए और उनसे क्या फल मिलता है।

नवरात्री में 9 दिन 9 भोग

पहला दिन (प्रतिपदा)- माँ शैलपुत्री: पहला दिन घटस्थापना के साथ – साथ माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। माता के प्रथम स्वरुप को गाय का घी या फिर उससे बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। इससे साधक को आरोग्य प्राप्त होती है। माता का आशीर्वाद मिलता है और शरीर की सभी प्रकार की व्याधियाँ मिट जाती है और साधक निरोगी हो जाता है।  

दूसरा दिन (द्वितीया) – माँ ब्रह्मचारिणी: नवरात्री के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। माँ के इस स्वरुप को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। इस बी हॉग को पूजा के बाद परिवार समेत ग्रहण करने से और बाटने से आयु में वृद्धि होती है।    

तीसरा दिन (तृतीया) – माँ चंद्रघंटा: तृतीया तिथि में माँ चंद्रघंटा की उपासना होती है। माता चंद्रघंटा को दूध से बानी मिठाई का भोग अति प्रिय है।  देवी को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाने से मानशिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।  

चौथा दिन (चतुर्थी) – माँ कुष्मांडा: नवरात्री के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा होती है।  इस दिन माता को मालपुए का भोग लगाना चाहिए। माता का भोग ग्रहण करने से और दान करने से बुद्धि का विकास होता है और निर्णय लेने की छमता बढ़ती है।  

पांचवा दिन (पंचमी) = माँ स्कंदमाता: पाचवा दिन माँ स्कंदमाता का दिन होता है। माँ स्कंदमाता को केले का भोग लगाने से अति उत्तम होता है। केले का भोग लगाने से साधक को स्वास्थ लाभ होता है और बिमारियों से मुक्ति मिलती है।  

छठा दिन (षष्टी) – माँ कात्यायनी: नवरात्री के छटे दिन माँ कात्यायनी की पूजा होती है। माता के इस स्वरूप को शहद का भोग लगाना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक माहौल बनता है और उसकी आकर्षण सकती बढ़ती है।  

सातवा दिन (सप्तमी) – माँ कालरात्रि: सातवा दिन माँ कालरात्रि का होता है। माता के इस स्वरुप को गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाना अति उत्तम होता है। ऐसा करने से साधक को शत्रु पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है।  

आठवाँ दिन (अष्टमी) – माँ महागौरी: अष्टमी के पवन तिथि में माँ महागौरी की उपासना की जाती है। माता को नारियल का भोग चढ़ाना चाहिए। इससे संतान सुख की प्राप्ति होती है।  

नौवें दिन (नवमी) – माँ सिद्धिदात्री: नवरात्री का अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री का होता है। जैसे की नाम से जी पता चलता है माँ माँ सिद्धिदात्री की उपासना करने से  सिद्धियाँ प्राप्त होती है। माता के इस स्वरुप को चना, खीर, पूड़ी, हलवा का भोग लगा चाहिए और सबमे बाटना भी चाहिए, घर में सुख – शांति, समृद्धि बनी रहती है। 

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