ॐ जय जगदीश हरे, भगवान विष्णु की आरती है। हिन्दू धर्म में यह सबसे प्रचलित आरतियों में से एक है। यह सबसे ज्यादा और हर घर में गाया जाने वाला आरती है।

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनो के संकट, दास जनो के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, ठाकुर तुम मेरे। स्वामी रक्षक तुम मेरे।
अपने हाथ उठाओ, अपनी शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश हरे।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनो के संकट, दास जनो के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे।
ॐ जय जगदीश हरे आरती का महत्व
सृष्टि के पालन करता भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए ॐ जय जगदीश हरे आरती गाई जाती है। भगवान विष्णु की पूजा से धन सुख समृद्धि, और धन का लाभ होता है। प्रतिदिन इस आरती का पाठ करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। एकादशी के दिन व्रत रखने से और ॐ जय जगदीश हरे आरती का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
ॐ जय जगदीश हरे आरती के लाभ
ओम जय जगदीश हरे आरती के लाभ नीचे विस्तार से दिए गए हैं।
- इस आरती का पाठ करने से हर संकट से मुक्ति मिलती है।
- सुख, समृद्धि, धन की प्राप्ति होती है।
- भगवन विष्णु की कृपा बनी रहती है।
- व्यक्ति को आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है।
- इस आरती का निरंतर पाठ करने से इंसान लोभ, मोह, भय से मुक्त होता है।
- व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
- इंसान बुरे कर्मों में नहीं फसता है।
कैसे करें भगवान विष्णु की आरती
भगवान विष्णु की आरती करने के नियम, विधि निचे दिए गए हैं।
- प्रतिदिन सुबह – सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाये, फूल अर्पित करें और प्रसाद का भोग भी लगाए।
- ओम जय जगदीश हरे आरती का पाठ करें।
- अगर सुबह पूजा नहीं कर सकते तो संध्या समय भी भगवन विष्णु की आराधना कर सकते हैं।
- पूरे परिवार सहित आरती का पाठ करना अति उत्तम माना जाता है।
Frequently Asked Questions
“ॐ जय जगदीश हरे” आरती क्या है?
“ॐ जय जगदीश हरे” एक प्रसिद्ध हिन्दू आरती है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे भगवान विष्णु की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए गाया जाता है, जो ब्रह्माण्ड के संरक्षक और पालन करता हैं।
“ॐ जय जगदीश हरे” आरती कब पढ़नी चाहिए?
यह आरती सुबह सुबह स्नान करके, या फिर संध्या काल, स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवन विष्णु के सामने पढ़ी जाती है।
“ॐ जय जगदीश हरे” आरती का पाठ कैसे किया जाता है?
“ॐ जय जगदीश हरे” आरती को भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने बैठकर पढ़ सकते हैं। आरती का पाठ करते समय, धूप, घी का दिया, फूल, भोग (नैवेद्य) आदि चढ़ाते हैं।
“ॐ जय जगदीश हरे” आरती क्यों करना चाहिए ?
“ॐ जय जगदीश हरे” आरती का पाठ भगवान विष्णु की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए करना चाहिए। यह आरती भक्तों के जीवन को सुख, शांति, और समृद्धि से भर देती है।